बात-बात पर जिद करता है आपका बच्‍चा तो ये टिप्‍स आएंगे आपके काम| बच्चों पे हाथ क्यों नहीं उठाना चाहिए।

बच्‍चों का जिद्दी होना नॉर्मल बात है लेकिन बच्‍चों की बार-बार जिद करने की आदत को नजरअंदाज करना सही नहीं है। आप कुछ आसान तरीकों से बच्‍चों को सुधार सकते हैं।

 बच्‍चों में जिद करने की आदत बहुत होती है। कोई खिलौना देखा नहीं कि उसे खरीदने के लिए जिद करने लगते हैं। अपनी पसंद की चीज पाने के लिए बीच सड़क पर ही रोने, चिल्‍लाने और गुस्‍सा करने लगता है। ऐसे में सबकी निगाहें बच्‍चों के पैरेंट्स परवरिश के ऊपर उठने लगती हैं।

बच्‍चों में जिद्दीपन की वजह से पैरेंट्स को काफी दिक्‍कत हो सकती है लेकिन शांति और धैर्य के साथ आप अपने बच्‍चे की इस आदत को कंट्रोल कर सकते हैं। यदि आपका बच्‍चा अपनी बात और जिद को लेकर अटल रहता है तो आपको उसे समझाने और सही तरह से हैंडल करने के लिए निम्‍न तरीके अपनाने चाहिए।

कैसे होते हैं जिद्दी बच्‍चे
जिन बच्‍चों में जिद्दीपन की आदत होती है वो बार-बार हर चीज के बारे में सवाल पूछते हैं, ये बहुत बुद्धिमान और क्रिएटिव होते हैं। इन्‍हें चाहिए होता है कि सब इनकी बात सुनें और इन पर ध्‍यान दें, ये बहुत ज्‍यादा आत्‍मनिर्भर होते हैं। ये बार-बार नखरे दिखा सकते हैं और इनका लीड करने का मन करता है और ये दूसरों पर धौंस जमाने की कोशिश करते हैं।

बहस करने से बचें
जिद्दी बच्‍चे बहस करने के लिए हर वक्‍त तैयार रहते हैं इसलिए आपको उन्‍हें ये मौका नहीं देना है। इसकी बजाय अपने बच्‍चे की बात सुनें। जब आप उसकी बात को सुनने लगेंगे तो वो भी आपकी बात पर ध्‍यान देने की कोशिश करने लगेगा।

चिल्‍लाएं नहीं
माता-पिता के लिए ये बात बहुत जरूरी है कि उन्‍हें अपने बच्‍चों पर चिल्‍लाना नहीं है और अगर बच्‍चे जिद्दी हों तो ऐसा बिल्‍कुल भी नहीं करना चाहिए। आपके शांत रहने पर बच्‍चे भी ज्‍यादा शोर-शराबा नहीं करेंगे और आप उन्‍हें सही और गलत के बीच में फर्क बता पाएंगे।

नियम बनाकर चलें
जिद्दी बच्‍चों के साथ डील करने के लिए आपको कुछ नियम बनाकर रखने चाहिए। उन्‍हें समझाएं कि नियम तोड़ने पर उन्‍हें क्‍या नुकसान होगा। अगर आप लगातार बच्‍चे को अनुशासन में रखते हैं तो इससे उसके बच्‍चे के जिद्दीपन को भी कम करने में मदद मिलेगी।

मन की बात समझें
कई बार बच्‍चे पैरेंट्स का ध्‍यान अपनी ओर खींचने के लिए भी जिद करते हैं। हो सकता है कि आपके बच्‍चे को कोई बात परेशान कर रही हो और उसे समझ नहीं आ रहा हो कि उसे आपसे किस तरह बात करनी है। यहां पर आपको अपने बच्‍चों की हरकतों को देखकर उसे समझना चाहिए। अपने बच्‍चे से शांत बैठकर बात करें।
ऐसा नहीं है कि बच्‍चों का जिद्दी होना गलत बात है लेकिन हद से ज्‍यादा और बात-बात पर जिद करना गलत है। इसका बुरा असर आगे चलकर बच्‍चे के भविष्‍य पर भी पड़ेगा और उसके व्‍यवहार में ही ये आदत शामिल हो जाएगी।

इससे बचने के लिए मां-बाप को समय रहते ही इस आदत को सुधारने की कोशिश कर लेनी चाहिए। सही समय पर सही सीख मिलने से आपके बच्‍चे का भविष्‍य संवर सकता है और वो एक अच्‍छा इंसान बन सकता है।

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ऐसा हो ही नहीं सकता कि पैरेंट्स को बच्‍चों पर गुस्‍सा न आए। बच्‍चे बहुत शैतान होते हैं और इस वजह से उनसे कई बार गलतियां हो जाती हैं। ऐसे में अक्‍सर मां-बाप का हाथ बच्‍चों पर हाथ उठ जाता है। कुछ पैरेंट्स को बच्‍चों को सबक सिखाने के लिए मारपीट को ही सही रास्‍ता समझते हैं जो कि बिल्‍कुल गलत है।

पैरेंट्स के बच्‍चों पर हाथ उठाने का भावात्‍मक और शारीरिक असर पड़ता है। आइए जानते हैं कि पैरेंट्स के हाथ उठाने पर बच्‍चा कैसा महसूस करता है।

बच्‍चों पर हाथ उठाने के कारण

पैरेंट्स को उल्‍टा जवाब देने या चिल्‍लाने पर, गुस्‍सा करने या नखरे दिखाने पर, कोई नियम तोड़ने पर, चेतावनी को नजरअंदाज करने पर, पैरेंट्स की अपेक्षाओं को पूरा करने में असमर्थ होना, बच्‍चे को कुछ गलत करने से रोकने पर पैरेंट्स उन पर हाथ उठा देते हैं।

बच्‍चे भी बन जाते हैं हिंसक

अगर आप बच्‍चों पर हाथ उठाकर उन्‍हें अनुशासन सिखाने की कोशिश करते हैं तो उन्‍हें ऐसा लगने लगता है कि मारपीट करना सही है और वो भी अपने आसपास के लोगों के साथ ऐसा ही करते हैं।

बच्‍चे अपने आसपास के लोगों और पैरेंट्स से ही सीखते हैं। छोटी-छोटी बातों पर बच्‍चे को डांटने से उसके मन में डर बैठ सकता है और बड़ा होकर वो भी दूसरों के साथ ऐसा ही व्‍यवहार कर सकता है।

बच्‍चे पर हाथ उठाने से न केवल उसे शारीरिक पीड़ा होती है बल्कि वह भावनात्‍मक रूप से भी आहत महसूस करता है। पैरेंट्स की पिटाई बच्‍चों को भावनात्‍मक रूप से झकझोर देती है।

अगर पैरेंट्स बार-बार बच्‍चे को उनकी गलती ही बताते रहें तो इससे बच्‍चे को लगने लगता है कि वो एक अच्‍छा इंसान नहीं है। वो खुद को बुरा मानने लगता है और बड़ा होकर अपनी ही इज्‍जत नहीं कर पाता है।

आत्‍मविश्‍वास में कमी

यदि आपको लगता है कि पिटाई करने से आपके बच्‍चे के व्‍यवहार में कोई सुधार आएगा तो आप गलत हैं। पिटाई के निशान शरीर से तो चले जाते हैं लेकिन मन पर गहरी छाप छोड़ जाते हैं।

अपने साथ हुए बुरे व्‍यवहार के कारण बच्‍चे के आत्मविश्वास को चोट लग सकती है। आप उसे जितना मारेंगे, वो उतना ही ज्‍यादा गलतियां करेगा। इससे उसे अपने बारे में और ज्‍यादा बुरा महसूस होगा जो कि बच्‍चों के विकास के लिए बिल्‍कुल भी सही नहीं है।

विद्रोही हो जाते हैं

बच्‍चों पर हाथ उठाने वाले पैरेंट्स अक्‍सर यह नहीं समझ पाते हैं कि ऐसा करके वो अपने बच्‍चों को ही अपने से दूर कर रहे हैं। अगर आपकी ये आदत बहुत ज्‍यादा बढ़ गई है तो वो एक या दो बार तो डरेगा, लेकिन इसके बाद विद्रोही बन जाएगा। उसे पता होगा कि वो चाहे कुछ भी गलत कर ले, आप बस उसकी पिटाई करके उसे छोड़ देंगे।

गुस्‍सा बढ़ सकता है

जिन बच्‍चों के साथ मारपीट होती है, उनमें अक्‍सर गुस्‍सा अधिक देखा जाता है। अगर छोटी-छोटी बातों पर बच्‍चे की पिटाई करते हैं तो इससे बच्‍चे के मन में गुस्‍सा पैदा होने लगता है। ये गुस्‍सा किसी भी नकारात्‍मक तरीके से बाहर आ सकता है।


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Written by 

Dr. Gaurav has a doctorate in management, a NET & JRF in commerce and management, an MBA, and a M.COM. Gaining a satisfaction career of more than 10 years in research and Teaching as an Associate professor. He published more than 20 textbooks and 15 research papers.

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